Operation Mahadev इन दिनों देशभर में सुर्खियों में बना हुआ है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए गए इस बेहद गुप्त ऑपरेशन ने पाकिस्तान से संचालित हो रहे एक साइबर जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। Operation Mahadev के तहत दुश्मन देश की साजिश का ऐसा चेहरा सामने आया है जिसने पूरे देश को चौका दिया है।
Operation Mahadev क्या है?
Operation Mahadev भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा चलाया गया एक विशेष साइबर सुरक्षा मिशन है, जिसका मकसद भारत में चल रहे फर्जी कॉल सेंटरों, फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल्स और विदेशी नेटवर्क को पकड़ना था। Operation Mahadev के ज़रिए उन जासूसों और साइबर अपराधियों की पहचान की गई जो भारतीय सेना, मीडिया और आम नागरिकों को निशाना बना रहे थे।
Operation Mahadev में इस्तेमाल की गई दुश्मन की तकनीक
Operation Mahadev ने उजागर किया कि दुश्मन देशों की एजेंसियाँ बेहद चालाकी से काम कर रही थीं। उन्होंने दुबई और पाकिस्तान जैसे देशों से फेक महिलाओं के नाम पर सोशल मीडिया अकाउंट, WhatsApp कॉल्स और ISD कॉल्स के जरिए भारतीय अधिकारियों को जाल में फँसाने की कोशिश की।

Operation Mahadev के दौरान सामने आई प्रमुख रणनीतियाँ:
- फर्जी महिला पत्रकार बनकर सेना अधिकारियों से चैट करना
- फेक फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल के जरिए गोपनीय जानकारी लेना
- ऑडियो कॉल्स में जासूसी तकनीक का उपयोग
- रिकॉर्डिंग के ज़रिए ब्लैकमेलिंग करना
Operation Mahadev में जांच एजेंसियों की बड़ी भूमिका
Operation Mahadev के सफल संचालन में RAW, IB और मिलिट्री इंटेलिजेंस जैसी एजेंसियों ने गुप्त रूप से सैकड़ों संदिग्ध कॉल्स की निगरानी की। Operation Mahadev के तहत साइबर ट्रैफिक का विश्लेषण और इंटरनेशनल कॉल्स की डिटेल्स की गहराई से जांच की गई।
Operation Mahadev की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- 20 से अधिक संदिग्धों की पहचान
- सोशल मीडिया पर सक्रिय 50+ फेक प्रोफाइल्स का ट्रैक
- दुबई और पाकिस्तान से जुड़े कॉलिंग नेटवर्क को ट्रेस करना
Operation Mahadev के ऑडियो सबूत
Operation Mahadev के सबसे बड़े सबूतों में से एक था व्हाट्सएप कॉल्स और ऑडियो रिकॉर्डिंग का ज़खीरा, जिसमें कई सेना अधिकारियों से गोपनीय बातें पूछी गईं थीं। दुश्मन एजेंटों ने बड़ी चतुराई से भारतीय सैनिकों को भावनात्मक रूप से फंसाया।
Operation Mahadev ने यह स्पष्ट किया कि दुश्मन की असली ताकत अब हथियार नहीं, बल्कि डिजिटल जासूसी बन चुकी है।
Operation Mahadev से सामने आई साइबर सुरक्षा की चुनौती
Operation Mahadev ने यह साबित किया कि भारत की साइबर सुरक्षा को लेकर नई चुनौतियाँ सामने आ चुकी हैं। अब युद्ध मैदान में नहीं, बल्कि मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क पर लड़े जा रहे हैं।
Operation Mahadev से मिली सीख:
- सैनिकों की सोशल मीडिया सुरक्षा सर्वोपरि है
- डिजिटल उपकरणों में मजबूत एंटी-हैकिंग प्रोटेक्शन जरूरी है
- आम नागरिकों की सतर्कता राष्ट्रीय सुरक्षा में मददगार हो सकती है
Operation Mahadev: “हनीट्रैप + टेक्नोलॉजी” का खतरनाक कॉम्बिनेशन
Operation Mahadev ने यह भी उजागर किया कि दुश्मन देश हनीट्रैपिंग को अब ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिए अंजाम दे रहे हैं। Facebook, Instagram, Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी नामों से बनाई गई प्रोफाइल्स भारतीय अधिकारियों से दोस्ती कर उन्हें जानकारी साझा करने को मजबूर करती थीं।

Operation Mahadev के बाद सरकार के उठाए कदम
Operation Mahadev की सफलता के बाद भारत सरकार और सेना ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं:
- सेना और पुलिस विभाग के लिए नई सोशल मीडिया गाइडलाइंस
- Operation Mahadev जैसे साइबर ऑपरेशन के लिए नई यूनिट्स की स्थापना
- विदेशों में बैठे साजिशकर्ताओं को पकड़ने के लिए इंटरपोल और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहयोग
- नागरिकों को Operation Mahadev की जानकारी देकर जागरूक बनाना
Operation Mahadev और आम जनता की भूमिका
Operation Mahadev ने हमें यह भी सिखाया कि राष्ट्र की रक्षा केवल सैनिकों की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि आम नागरिकों की भी है। साइबर सुरक्षा हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
Operation Mahadev से मिली चेतावनी:
- अनजान कॉल्स को गंभीरता से लें
- सोशल मीडिया पर अंजान लोगों से बातचीत न करें
- किसी भी संवेदनशील जानकारी को ऑनलाइन साझा न करें